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बीरबल की समाधि

जैसा कि हम सभी जानते हैं की बीरबल बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति था जिसे अकबर बहुत पसंद करता था इसी कारण अन्य दरबारी बीरबल की ख्याति से जलते थे और तरह - तरह के तरीके आज़माते थे जिससे बीरबल 
अकबर की नज़रों में गिर जाये पर हर बार हार जाते थे | इस बार दरबारियों ने बीरबल को मारने की साजिश रची, जिसके लिए उन्होंने महाराज के प्रिय नाई से बात की | नाई ने बीरबल को मारने के लिए अच्छी खासी
मोटी रकम की मांग कीजिसे दरबारियों ने आसानी से मान लिया | 
मौका पाते ही नाई ने अपना दांव खेला, उसने अकबर से कहा कि अकबर को उनके पिता हुमायु के लिए कुछ 
विशेष करना चाहिए | इस बात पर अकबर ने अत्यंत दुखी स्वर में कहा तुम्हारी बात तो सही हैं पर मेरे पिता का तो स्वर्गवास हो चूका हैं अब मैं क्या कर सकता हूँ जिससे उन्हें प्रसन्नता मिले | इस बात पर नाई ने कहा कि वह एक ऐसी विद्या जानता हैं जिसके जरिये किसी भी व्यक्ति को आपके पिता के पास भिजवाया जा सकता हैं जो आपके पिता की इच्छा पूछकर आपको बता सकेलेकिन यह व्यक्ति बुद्धिमानसच्चा और पल भर में
 उचित निर्णय ले सके ऐसे गुण वाला होना चाहिए | यह सब गुण जानने के बाद अकबर को बीरबल का ही नाम सुझा और अकबर ने बीरबल को दरबार में आने का संदेसा भेजा |
दुसरे दिन बीरबल दरबार में पहुँचा तो अकबर ने बीरबल को पूरी बात बताई और  कहा की तुम्हारी एक 
समाधि बनाई जाएगी जिस पर मन्त्र पढ़े जायेंगे उसके बाद तुम स्वर्ग जाकर हमारे पूर्वजो की इच्छा 
पूछ कर आओगे | तब बीरबल ने बादशाह अकबर से पूछा की इस उत्तम कार्य का सुझाव आपको किसने दिया महाराज ? तब अकबर ने बड़े गर्व से अपने प्रिय नाई का नाम लिया | अकबर ने बीरबल से पूछा क्या तुम 
तैयार हो ? तब बीरबल ने कहा महाराज मुझे कुछ दिनों का वक्त देंमैं अपने घर की कुछ व्यवस्था करके जाना चाहता हूँ क्यूंकि धरती से स्वर्ग तक के सफ़र मे बहुत वक्त बीत जायेगा | अकबर ने बीरबल को एक महीने का वक्त दिया | एक महिना बीता और कहे अनुसार बीरबल की समाधि बनाई गईमंत्र पढ़े गये | जिसके बाद 
बीरबल को उस समाधि में सुला दिया गया | इस कार्य के पूर्ण होते ही दरबारियों ने चैन की सांस ली और नाई को मुँह मांगी रकम दे दी गई |
कुछ समय पश्चात बादशाह अकबर के पास एक संदेशा आया की बीरबल स्वर्ग से पूवर्जो का संदेश लेकर  
गया हैं,  जब यह संदेसा दरबारी और नाई ने सुना तो वो सभी घबरा गए | अगले दिन जब वे सभी दरबार पहुँचे तब  दरबार मे बीरबल अकबर को समाचार सुना रहे थे  कि स्वर्ग में सभी कुशल हैं और सभी पूर्वज सुख पूर्वक स्वर्ग का आनंद ले रहे हैं। तब अकबर ने पूछा कि वहाँ कोई कमी हो तो बताओ हम उसे पूरा करेंगे |  अकबर की बात सुनकर बीरबल ने कहा हे महाराज स्वर्ग में वैसे तो कोई कमी नहीं है परन्तु वहां कोई नाई 
हीं हैं जिसके कारण आपके सभी पूर्वजों के बाल एवं दाड़ी काफी बढ़ गए हैं देखिये मेरे भी बाल एवं दाड़ी बढ़ 
गए हैं | अतः हमें वहाँ एक नाई भेजना चाहिये | तब अकबर ने पने उसी प्रिय नाई को भेजने का फैसला लिया |
यह सुनकर नाई डर गया और उसने बादशाह अकबर को बीरबल के खिलाफ रची गई दरबारियों की साजिश के बारे में पूरा सच बता दिया जिस पर अकबर ने नाई और दरबारियों को सजा सुनाई और बीरबल से पुछा की आपको  तो समाधी दी गई थी फिर आप बच कैसे गए ?  यही बात सभी दरबारी भी जानना चाहते थे कि 
बीरबल बच कैसे गया | तब बीरबल ने कहा क्षमा कीजिये महाराज लेकिन इन्सान मरने के बाद जहाँ जाता हैं वहाँ कोई जीवित व्यक्ति नहीं जा सकता इसलिए मुझे पता था कि यह एक षडयंत्र हैं | मैंने आपसे एक महीने का वक्त माँगा था इस एक महीने में मैंने समाधि के नीचे एक सुरंग बनवाई उसी सुरंग से मैं बाहर निकला और
 कई  महीनों तक छिप कर रहा तथा अपने बाल एवं दाड़ी के बढ़ने का इंतज़ार किया ताकि नाई को सबक 
सिखा सकूँ |
Moral: जो दुसरो के लिए गड्डा खोदता हैं वो खुद उसी में गिरता हैं|

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